Class 12 hindi bihar board digant all chapters Summary, Q&A solution and notes
Class 12 hindi bihar board "दिगंत" all chapters Summary, Q&A solution and notes
कक्षा 12 हिन्दी (बिहार बोर्ड) गद्य खंड के व्यवस्थित नोट्स
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अध्याय 1: बातचीत (निबंध) - बालकृष्ण भट्ट
दिए गए अध्याय का संक्षेपण (Summary of the Chapter)
प्रस्तुत अध्याय 'बातचीत' बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित एक निबंध है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने उन्हें हिंदी गद्य साहित्य में अंग्रेजी के निबंधकार **एडिसन और स्टील** की श्रेणी में रखा है।
- **वाक्शक्ति का महत्व:** ईश्वर द्वारा मनुष्य को दी गई शक्तियों में वाक्शक्ति एक वरदान है; यदि यह न होती, तो यह पूरी सृष्टि गूँगी प्रतीत होती।
- **असली बातचीत:** लेखक के अनुसार, असली बातचीत केवल **दो व्यक्तियों** के बीच ही संभव है, जहाँ वे अपना दिल एक-दूसरे के सामने खोलते हैं।
- **बातचीत का उत्तम मार्ग:** बातचीत का सबसे उत्तम तरीका **आत्म-संवाद** या **आत्मवार्ता** है, जिससे व्यक्ति एक सच्चा सुखमय संसार की रचना कर सकता है।
1. अगर हममें वाक्शक्ति न होती तो क्या होता?
यदि हममें वाक्शक्ति न होती, तो यह पूरी सृष्टि गूँगी प्रतीत होती। मनुष्य अपनी भावनाओं, सुख-दुख, और विचारों को व्यक्त नहीं कर पाता और एक-दूसरे से कुछ भी न कह-सुन सकता।
4. मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका क्या हो सकता है? इसके द्वारा वह कैसे अपने लिए सर्वथा नवीन संसार की रचना कर सकता है?
मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका **आत्म-संवाद** या **आत्मवार्ता** है। इस संवाद के द्वारा वह अपने वाक्शक्ति को नियंत्रण में रखता है, जिससे वह अपने भीतर की मनोवृत्ति को काबू करके अपने लिए परम शांत, शक्ति और सच्चा सुखमय संसार की रचना करता है।
5. व्याख्या करें: (ख) सच है, जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण-दोष प्रकट नहीं होता।
यह कथन वाक्शक्ति के महत्व को दर्शाता है। मनुष्य के अंतर्निहित गुण और दोष तभी प्रकट होते हैं जब वह बोलता है। बातचीत ही वह माध्यम है जिससे किसी व्यक्ति की असलियत, योग्यता, शील और स्वभाव का पता चलता है।
अध्याय 2: उसने कहा था (कहानी) - चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी'
- यह कहानी जून 1915 में 'सरस्वती' पत्रिका में प्रकाशित हुई थी और हिंदी कहानी के विकास में **'मील का पत्थर'** मानी जाती है। इसमें **'फ्लैश बैक'** पद्धति का प्रयोग हुआ है।
- **कथावस्तु:** लहना सिंह (जमादार नं. 77 राइफल्स) बचपन में मिले प्रेम को आजीवन याद रखता है।
- **वचन और त्याग:** सूबेदारनी लहना से अपने पति (सूबेदार हजारा सिंह) और अपने बेटे (बोधा सिंह) की युद्ध में **रक्षा** करने का वचन माँगती है।
- लहना सिंह अपने प्राणों का बलिदान देकर वचन पूरा करता है।
1. 'उसने कहा था' कहानी कितने भागों में बँटी हुई है? कहानी के कितने भागों में युद्ध का वर्णन है?
कहानी कुल **पाँच भागों** में बँटी हुई है। कहानी के दूसरे, तीसरे, चौथे और पाँचवें भागों में युद्ध और युद्ध संबंधी परिस्थितियों का वर्णन है।
3. लहनासिंह का परिचय अपने शब्दों में दें।
लहनासिंह कहानी का मुख्य पात्र है, जो ब्रिटिश सेना में **जमादार नं० 77 राइफल्स** के पद पर कार्यरत है। वह एक बहादुर, कर्तव्यनिष्ठ और त्याग की भावना रखने वाला सिपाही है, जिसने सूबेदारनी से किए गए वादे (वचन) को निभाने के लिए, युद्ध में अपने प्राणों की **बलि** दी।
11. 'अब घर जाओ तो कह देना कि मुझे जो उसने कहा था वह मैंने कर दिया!' प्रसंग एवं अभिप्राय बताएँ।
प्रसंग: यह कथन लहना सिंह ने सूबेदार हजारा सिंह को तब कहा जब वह घायल अवस्था में था और सूबेदार को युद्ध के मोर्चे से वापस भेज रहा था।
अभिप्राय: इस कथन का सीधा अभिप्राय है कि उसने **सूबेदारनी से किया गया वचन (वादा)** निभा दिया है, और अपनी जान देकर भी हजारासिंह और बोधासिंह की रक्षा का कर्तव्य पूरा किया है।
अध्याय 3: सम्पूर्ण क्रान्ति (भाषण) - जयप्रकाश नारायण
- यह जयप्रकाश नारायण (जेपी) द्वारा **5 जून 1974** को पटना के गांधी मैदान में दिए गए ऐतिहासिक भाषण का अंश है।
- **सम्पूर्ण क्रान्ति:** यह क्रान्ति केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि **सामाजिक, आर्थिक, नैतिक और सांस्कृतिक क्रांति** है।
- **नेतृत्व और शर्त:** जेपी ने आंदोलन का नेतृत्व इस शर्त पर स्वीकार किया कि वे सबकी सलाह सुनेंगे, लेकिन आंदोलन का **अंतिम निर्णय (आखिरी फ़ैसला) उनका होगा**।
1. आंदोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण के क्या विचार थे, आंदोलन का नेतृत्व वे किस शर्त पर स्वीकार करते हैं?
जेपी का विचार था कि आंदोलन को सफल बनाने के लिए **अनुशासन** सबसे महत्वपूर्ण है। शर्त यह थी कि वे सबकी सलाह सुनेंगे, **लेकिन अंतिम फैसला मेरा होगा**। उन्होंने जोर दिया कि यदि उनका नेतृत्व स्वीकार नहीं किया गया और अनुशासन टूटा, तो आंदोलन बिखर जाएगा।
2. जयप्रकाश नारायण के छात्र जीवन और अमेरिका का परिचय दें।
जयप्रकाश नारायण ने जनवरी 1921 में कॉलेज में प्रवेश लिया, लेकिन महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के आह्वान पर उन्होंने केवल तीन महीने बाद ही कॉलेज छोड़ दिया। बाद में उच्च शिक्षा के लिए वे **अमेरिका** गए। अमेरिका में रहते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए **लोहा-इस्पात के कारखानों**, तीन-चार तरह के **कारखानों** (जिनमें एक कसाईखाना था), तथा **रेस्तरांओं** में काम किया।
अध्याय 4: अर्धनारीश्वर (निबंध) - रामधारी सिंह 'दिनकर'
- यह निबंध रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा लिखा गया है। **अर्धनारीश्वर** समन्वय और पूर्णता का प्रतीक है।
- **लिंग भेद:** दिनकर जी कृत्रिम लिंग विभाजन को गलत मानते हैं। उनका मानना है कि नारी की पराधीनता कृषि सभ्यता की देन है।
- निष्कर्ष: नर और नारी तब तक अधूरे रहेंगे, जब तक वे अलग रहेंगे, और जब तक हर पुरुष अपने में नारीत्व और हर नारी अपने में पौरुष का समावेश नहीं कर लेती।
5. व्याख्या करें: (क) 'प्रत्येक पत्नी अपने पति को बहुत कुछ उसी दृष्टि से देखती है जिस दृष्टि से लता अपने वृक्ष को देखती है।'
यह कथन स्त्री और पुरुष के पारंपरिक संबंधों को दर्शाता है, जहाँ स्त्री (पत्नी) अपनी सुरक्षा और सहारा पुरुष (पति) में खोजती है। जिस प्रकार एक लता स्वयं खड़ी नहीं हो सकती और सहारा पाने के लिए वृक्ष पर लिपटी रहती है, उसी प्रकार परंपरागत रूप से पत्नी भी पति में ही अपनी सुरक्षा, पहचान और अस्तित्व का आधार पाती है। यह संबंध पुरुष-प्रधान समाज में स्त्री की **पराधीनता** को व्यक्त करता है।
अध्याय 5: रोज़ (कहानी) - अज्ञेय
- यह कहानी पहले **'गैंग्रीन'** शीर्षक से प्रसिद्ध थी। 'गैंग्रीन' आंतरिक सड़न, निष्क्रियता और भावनात्मक मृत्यु का प्रतीक है।
- **केंद्रीय विषय:** कहानी मालती नामक विवाहित स्त्री की दैनिक, यांत्रिक और अपरिवर्तनीय दिनचर्या पर केंद्रित है।
- **मालती का परिवर्तन:** विवाहित जीवन की नीरसता, पति (महेश्वर) का व्यस्त कार्य, तथा बच्चे (टिट्टी) की देखभाल के बोझ ने मालती की बचपन की चंचलता को छीन लिया है।
7. आशय स्पष्ट करें: 'मुझे ऐसा लगा था कि इस घर पर जो छाया घिरी हुई है, वह बाहर रहकर भी मानो मुझसे भी बस में कर रही है, मैं भी वैसा ही नीरस हो रहा हूँ।'
लेखक (अतिथि) जब मालती के घर पहुँचते हैं, तो उन्हें वहाँ का वातावरण बोझिल, उदास और नीरस लगता है। मालती की नीरस दिनचर्या और घर के **संवादहीन और यांत्रिक** माहौल के कारण उत्पन्न हुआ यह ऊब और थकावट भरा वातावरण, लेखक को भी प्रभावित करने लगता है। लेखक को लगता है कि इस घर के दुःख और नीरसता की छाया बाहर रहकर भी उसे अपनी गिरफ्त में ले रही है और वह भी मालती जैसा ही नीरस होता जा रहा है।
मालती के घर का वातावरण कैसा था?
मालती के घर का वातावरण अत्यंत नीरस, थकावट भरा और उदास था। उसके घर पर एक **मौन छाया** छाई हुई थी। पति महेश्वर का व्यस्त जीवन और बच्चे की देखभाल के अलावा मालती के पास कोई काम नहीं था, जिसके कारण उसके जीवन में कोई उत्साह और उमंग शेष नहीं बची थी।
अध्याय 6: एक लेख और एक पत्र (लेख/पत्र) - शहीद भगत सिंह
- यह पाठ भगत सिंह के विचारों को दर्शाता है, जिसमें उनके मित्र **सुखदेव को लिखा गया एक पत्र** और **'विद्यार्थी और राजनीति'** पर उनका लेख शामिल है।
- **विद्यार्थी और राजनीति:** भगत सिंह ने इस विचार का खंडन किया कि विद्यार्थियों को राजनीति से दूर रहना चाहिए। उनका मानना था कि विद्यार्थियों को देश के राजनीतिक कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।
- **क्रांति:** वे कहते हैं कि क्रांति किसी चमत्कार से नहीं, बल्कि **कष्ट सहन और बलिदान** जैसे कठिन और सतत कार्यों से ही संभव है।
- **आदर्श:** वे **समाजवाद** के प्रति समर्पित थे और मृत्यु तक ईश्वर एवं पुनर्जन्म पर अपने दृढ़ अविश्वास (नास्तिकता) को बनाए रखने की बात करते हैं।
1. भगत सिंह की विद्यार्थियों से क्या अपेक्षाएँ हैं?
भगत सिंह की विद्यार्थियों से मुख्य अपेक्षाएँ हैं कि वे केवल **पुस्तकीय ज्ञान** तक सीमित न रहें, बल्कि **राजनीतिक** मामलों में सक्रिय भागीदारी करें। वे छात्रों को देश की परिस्थितियों पर विचार करने, स्वतंत्रता संग्राम में कूदने और अपने बलिदान से देश को आजाद कराने की प्रेरणा देते हैं। उनका मानना है कि विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई पूरी होने तक देश के लिए **पूर्णकालिक कार्यकर्ता** के रूप में काम करना चाहिए।
2. भगत सिंह के अनुसार क्रांति का अर्थ क्या है?
भगत सिंह के अनुसार, क्रांति का अर्थ केवल बम या पिस्तौल का उपयोग करना नहीं है। क्रांति का अर्थ है **युग-परिवर्तन**, अन्याय से उत्पन्न परिस्थितियों को बदलना और **शोषण-विहीन समाज** की स्थापना करना। यह किसी चमत्कार से नहीं, बल्कि **कष्ट सहन और बलिदान** जैसे कठिन और सतत कार्यों से संभव है।
3. सुखदेव को लिखे गए पत्र का केंद्रीय भाव क्या है?
सुखदेव को लिखे गए पत्र का केंद्रीय भाव **आदर्श और बलिदान** के बीच के द्वंद्व को स्पष्ट करना है। भगत सिंह ने इस पत्र में सुखदेव को समझाया है कि एक क्रांतिकारी का लक्ष्य अपनी भावनाओं या व्यक्तिगत मोह से ऊपर उठकर राष्ट्र और क्रांति के लिए **खुशी-खुशी बलिदान** देना होता है। यह पत्र उनके **नास्तिक** विचारों और मृत्यु को सहर्ष स्वीकार करने के दृढ़ संकल्प को भी दर्शाता है।
अध्याय 7: ओ सदानीरा (निबंध) - जगदीशचंद्र माथुर
- यह निबंध जगदीशचंद्र माथुर की पुस्तक **‘बोलते क्षण’** से संकलित है।
- **केंद्रीय विषय:** यह निबंध **गंडक नदी** (जिसे सदानीरा कहा गया है) को केंद्र में रखकर **चंपारण** क्षेत्र की संस्कृति, इतिहास, प्राकृतिक सौंदर्य और सामाजिक जीवन का वर्णन करता है।
- लेखक ने इस क्षेत्र के इतिहास, जैसे **चंपारण सत्याग्रह** और महात्मा गांधी के आगमन का भी उल्लेख किया है।
1. 'ओ सदानीरा' शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें।
'ओ सदानीरा' शीर्षक पूर्णतया सार्थक है। 'सदानीरा' का अर्थ है **सदा नीर (जल) वाली नदी**। यह शीर्षक **गंडक नदी** को संबोधित करता है, जो चंपारण क्षेत्र की जीवनधारा है। माथुर जी इस नदी को केवल जलधारा के रूप में नहीं, बल्कि इस क्षेत्र की संस्कृति, इतिहास और जीवनशैली के प्रतीक के रूप में देखते हैं।
2. चंपारण क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत कैसी है?
चंपारण क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत समृद्ध है। यहाँ की संस्कृति में **थारू आदिवासियों** की प्राचीन संस्कृति और **चंपारण सत्याग्रह** से जुड़ी आधुनिक सांस्कृतिक चेतना का मिश्रण है। इस क्षेत्र की नदी, वन और जीवनशैली एक विशिष्ट प्रकार के **ग्रामीण जीवन** और **भोलेपन** को दर्शाती है, जिसे लेखक ने नदी के माध्यम से व्यक्त किया है।
3. माथुर जी के अनुसार चंपारण में गाँधी जी की भूमिका क्या थी?
माथुर जी के अनुसार, चंपारण में गाँधी जी का आना एक महत्वपूर्ण **सांस्कृतिक उपलब्धि** थी। गाँधी जी ने वहाँ के किसानों को **अंग्रेजी शोषण (तीनकठिया प्रथा)** से मुक्ति दिलाई और साथ ही उन्हें **शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मविश्वास** प्रदान करके उनके सांस्कृतिक उत्थान का भी कार्य किया। उन्होंने वहाँ के लोगों को निर्भयता सिखाई।
अध्याय 8: सिपाही की माँ (एकांकी) - मोहन राकेश
- यह एकांकी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, **बर्मा फ्रंट** पर लड़ रहे सिपाही **मानक** की माँ **बिशनी** की कहानी है।
- **गरीबी और मजबूरी:** मानक अपनी बहन **मुन्नी** के विवाह के लिए पैसे कमाने की मजबूरी में युद्ध पर गया है।
- **स्वप्न और क्रूरता:** एकांकी का मुख्य भाग बिशनी का भयानक सपना है, जिसमें मानक और एक दुश्मन सिपाही लड़ रहे होते हैं। सपने में दुश्मन सिपाही बताता है कि उसकी भी माँ है।
1. एकांकी का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
यह एकांकी **बिशनी** नामक एक ग्रामीण माँ के जीवन पर केंद्रित है, जिसका इकलौता बेटा **मानक** द्वितीय विश्व युद्ध में बर्मा फ्रंट पर लड़ने गया है। मानक की बहन मुन्नी के विवाह के लिए पैसे जुटाने की मजबूरी ही उसे युद्ध में खींच लाई है। माँ बिशनी हर पल बेटे की वापसी की राह देखती है। एकांकी में उसका भयानक सपना दर्शाया गया है, जिसमें मानक एक दुश्मन सिपाही को मार रहा होता है। यह एकांकी **युद्ध की क्रूरता** और एक माँ की **ममता** की त्रासदी को दर्शाती है।
5. मानक और सिपाही एक दूसरे को क्यों मारना चाहते हैं?
मानक और सिपाही एक दूसरे को इसलिए मारना चाहते हैं क्योंकि वे **व्यक्तिगत रूप से दुश्मन नहीं** हैं, बल्कि वे दोनों अपने-अपने **देश की सेना** का प्रतिनिधित्व करते हैं और युद्ध में अपनी जान बचाने के लिए विवश हैं। युद्ध की क्रूरता ने उन्हें एक-दूसरे का दुश्मन बना दिया है, जबकि दोनों की अपनी माँएँ हैं और घर पर उनकी कोई न कोई प्रतीक्षा कर रहा है।
12. मुन्नी के विवाह की चिंता न होती तो मानक लड़ाई पर न जाता, यह चिंता किसी भी लड़ाई से कम नहीं है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपना पक्ष दें।
हाँ, इस कथन से सहमत हैं। मानक युद्ध पर केवल इसलिए गया क्योंकि वह अपनी बहन के विवाह के लिए पैसे कमाना चाहता था। यह दर्शाता है कि **गरीबी** और **आर्थिक मजबूरी** की लड़ाई भी उतनी ही जानलेवा होती है जितनी सैन्य लड़ाई। इस आर्थिक लड़ाई ने ही मानक को युद्ध की विभीषिका में धकेल दिया, जहाँ उसकी जान भी जा सकती थी।
15. बिशनी मानक के घर आने की कब तक प्रतीक्षा करेगी और क्यों?
बिशनी मानक के घर आने की तब तक प्रतीक्षा करेगी जब तक वह जीवित है। मानक उसका इकलौता बेटा है और उसकी बहन मुन्नी का विवाह मानक के भेजे पैसों पर निर्भर है। एक माँ के रूप में, उसकी ममता और आशा की डोर तब तक नहीं टूटेगी जब तक कि उसे अपने बेटे की मृत्यु का कोई **ठोस प्रमाण** न मिल जाए। यह उसकी **अटूट ममता** और भारतीय माँ की **असीम धैर्य** को दर्शाता है।
अध्याय 9: प्रगीत और समाज (आलोचनात्मक निबंध) - नामवर सिंह
- नामवर सिंह हिंदी आलोचना के क्षेत्र में एक विशिष्ट व्यक्तित्व हैं।
- **प्रगीत का स्वरूप:** यह निबंध **प्रगीत (गीतिकाव्य)** पर केंद्रित है। लेखक तर्क देते हैं कि आधुनिक प्रगीत केवल आत्मपरक (personal) नहीं है, बल्कि व्यक्ति-विशिष्ट होकर सामाजिक संघर्षों को अभिव्यक्त करता है।
- **सामाजिक सार्थकता:** कविता की सामाजिक सार्थकता उसके आकार या विधा से नहीं, बल्कि उसकी अंतर्वस्तु (content) से निर्धारित होती है।
1. प्रगीत और समाज के संबंध पर प्रकाश डालें।
नामवर सिंह के अनुसार, **प्रगीत** (गीतिकाव्य) एक आत्मपरक कविता है, लेकिन यह केवल व्यक्तिगत अनुभूतियों तक सीमित नहीं है। प्रगीत अपनी **व्यक्ति-विशिष्टता** के बावजूद सामाजिक यथार्थ और संघर्षों को अभिव्यक्त करता है। सच्चा प्रगीत अपनी **एकाकीपन** में भी समाज की गहरी आवाज को छिपाए रखता है। इस प्रकार, प्रगीत और समाज का संबंध यह है कि प्रगीत आत्मपरक होकर भी **सामाजिक** होता है।
2. कविता पर समाज का क्या प्रभाव पड़ता है?
कविता पर समाज का गहरा प्रभाव पड़ता है। कवि की अनुभूतियाँ और संवेदनाएँ समाज की स्थितियों, संघर्षों और समस्याओं से ही जन्म लेती हैं। कविता समाज की विचारधाराओं और अनुभवों का **प्रतिबिंब** होती है। लेखक के अनुसार, जहाँ समाज का व्यापक यथार्थ मौजूद होता है, वहीं श्रेष्ठ कविता जन्म लेती है।
3. प्रगीत और महाकाव्य (Epic) में क्या अंतर है?
**महाकाव्य** (जैसे रामचरितमानस) एक **व्यापक और विस्तृत** सामाजिक जीवन को प्रस्तुत करता है, जबकि **प्रगीत** (गीतिकाव्य) **व्यक्ति-केंद्रित** और **आत्मपरक** होता है। महाकाव्य का फलक बड़ा होता है, जिसमें कई पात्र और विस्तृत घटनाएँ होती हैं, जबकि प्रगीत एक **क्षणिक, गहन भावना** या व्यक्तिगत सत्य को अभिव्यक्त करता है। नामवर सिंह प्रगीत को महाकाव्य के विपरीत नहीं, बल्कि उसके **पूरक** के रूप में देखते हैं।
अध्याय 10: जूठन (आत्मकथा) - ओम प्रकाश वाल्मीकि
- यह पाठ लेखक ओम प्रकाश वाल्मीकि के जीवन की आत्मकथा का अंश है, जो **दलित समाज** के जाति-आधारित उत्पीड़न और शोषण को दर्शाता है।
- **स्कूल का अपमान:** हेडमास्टर **कलीराम** ने लेखक की जाति जानकर उन्हें पढ़ने के बजाय लगातार तीन दिनों तक स्कूल के मैदान में **झाड़ू** लगाने का आदेश दिया।
- लेखक की **भाभी** ने शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह करते हुए कहा था, **"हम भूखे रह लेंगे, पर अब यह गंदगी नहीं करेंगे।"**
1. 'जूठन' शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करें।
'जूठन' शीर्षक अत्यंत सार्थक है, क्योंकि यह दलित समुदाय द्वारा सहे गए **सबसे बड़े अपमान** और **शोषण** को दर्शाता है। यह शीर्षक कहानी के मुख्य विषय वस्तु को समाहित करता है, जहाँ लेखक के परिवार को शादियों के भोज से बचे हुए **जूठन** (पत्तलों पर पड़े बचे-खुचे खाने) को इकट्ठा करके कई महीनों तक खाना पड़ता था। यह 'जूठन' उनकी **गरीबी, मजबूरी और जातीय उत्पीड़न** का प्रतीक था।
2. हेडमास्टर कलीराम ने लेखक के साथ कैसा व्यवहार किया?
हेडमास्टर कलीराम ने लेखक की जाति जानते ही उसके साथ अत्यंत **भेदभावपूर्ण और अपमानजनक** व्यवहार किया। उन्होंने लेखक को पूरे स्कूल में पढ़ने के बजाय **झाड़ू** लगाने का आदेश दिया। लगातार तीन दिनों तक उन्होंने लेखक से पूरे स्कूल के मैदान और कमरों में झाड़ू लगवाई और उसे पढ़ने नहीं दिया। यह व्यवहार **जातिगत अहंकार** और क्रूरता को दर्शाता है।
3. लेखक के पिताजी ने हेडमास्टर का सामना कैसे किया?
लेखक के पिताजी जब स्कूल पहुँचे और अपने बेटे को झाड़ू लगाते देखा, तो वे क्रोधित हो गए। उन्होंने **निर्भीकता** से हेडमास्टर कलीराम का सामना किया। उन्होंने हेडमास्टर को डाँटा और चेतावनी दी कि अगर दोबारा उनके बेटे से झाड़ू लगवाई गई, तो वे **इसका अंजाम देखेंगे**। पिताजी का यह कार्य इस शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ **विद्रोह** का पहला कदम था।
अध्याय 11: हँसते हुए मेरा अकेलापन (डायरी) - मलयज
- यह मलयज की डायरी का अंश है। डायरी लेखक के गहन चिंतनशील और अत्यधिक संवेदनशील मूड को दर्शाती है।
- **सुरक्षा का अर्थ:** लेखक के अनुसार, सुरक्षा चुनौती को झेलने, लड़ने, पिसने और खटने में है, न कि अंधेरे में छिपने में।
- **डायरी का महत्व:** डायरी केवल एक दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि रचनात्मकता के लिए वह **कच्चा माल** है, जिसके बिना रचना अपना चरित्र प्राप्त नहीं कर सकती।
- **जीने का अर्थ:** लेखक के लिए, रचना और कर्म के माध्यम से अपने आप को संसार से जोड़े रखना ही जीवन है।
1. मलयज के अनुसार सुरक्षा और चुनौती का अर्थ क्या है?
मलयज के अनुसार, जीवन में **सुरक्षा** किसी वस्तु या व्यक्ति पर निर्भर रहने में नहीं है। असली सुरक्षा तो जीवन की हर **चुनौती** को **झेलने, लड़ने, पिसने और खटने** में है। अर्थात, लेखक मानते हैं कि संघर्ष से भागना नहीं चाहिए, बल्कि डटकर मुकाबला करना चाहिए, क्योंकि यही जीवन की असली सुरक्षा है।
2. डायरी क्या है? इसका लेखन क्यों किया जाना चाहिए?
**डायरी** साहित्य की वह विधा है जिसमें लेखक अपने **व्यक्तिगत अनुभवों, विचारों, भावनाओं और दैनिक जीवन की घटनाओं** को तिथिवार (Date-wise) लिखता है।
इसका लेखन इसलिए किया जाना चाहिए क्योंकि यह **रचनात्मकता के लिए कच्चा माल** प्रदान करती है। डायरी में दर्ज किए गए अनुभव और विचार, लेखक की **आंतरिक सच्चाई** को दर्शाते हैं और रचनात्मक लेखन के लिए एक आधारभूमि तैयार करते हैं। यह लेखक के अकेलेपन को भी एक अर्थ देती है।
3. डायरी में लेखन का उद्देश्य क्या होता है?
डायरी में लेखन का मुख्य उद्देश्य अपनी **संवेदनाओं और अनुभवों** को एक निश्चित रूप देना है। यह लेखक को अपने अकेलेपन से लड़ने, अपने विचारों को स्पष्ट करने और अपनी रचनात्मक ऊर्जा को केंद्रित करने में मदद करता है। यह लेखन का वह **कच्चा माल** है, जिससे उसकी रचना को उसका असली चरित्र मिलता है।
अध्याय 12: तिरछ (कहानी) - उदय प्रकाश
- यह कहानी **जादुई यथार्थवाद (Magical Realism)** शैली का एक उदाहरण है।
- **लोक विश्वास:** कहानी **तिरछ** (एक जहरीला छिपकली) के ज़हर से होने वाली मृत्यु के इर्द-गिर्द घूमती है। लोक-विश्वास के अनुसार, तिरछ का ज़हर ठीक **चौबीस घंटे** बाद घातक प्रभाव दिखाता है।
- **पिता की मृत्यु:** लेखक के पिता की मृत्यु तिरछ के काटने के बाद होती है। शहर में इलाज के लिए जाने पर उन्हें हिंसा और गलतफहमी का सामना करना पड़ता है।
1. 'तिरछ' क्या है? कहानी में इसका क्या महत्व है?
**तिरछ** एक जहरीला छिपकली जैसा जीव है, जिसे लोक-विश्वास में **'विषखापर'** के नाम से भी जाना जाता है। यह कहानी में **भय, अंधविश्वास और मृत्यु** का प्रतीक है। तिरछ के काटने और उसके ज़हर के चौबीस घंटे बाद घातक होने के लोक-विश्वास ने ही लेखक के पिता की मृत्यु को भयानक बना दिया। यह एक ऐसी क्रूर और रहस्यमय शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है जो ग्रामीण जीवन में व्याप्त है।
2. शहर में लेखक के पिता के साथ क्या हुआ?
तिरछ के काटने के बाद इलाज के लिए शहर जाने पर लेखक के पिता को **अमानवीय** व्यवहार का सामना करना पड़ा। शहर में उनकी ग्रामीण प्रतिष्ठा (हेडमास्टर) का कोई महत्व नहीं था। लोग उन्हें पागल समझकर अपमानित करते रहे। बैंकों, पुलिस और व्यापारियों द्वारा अपमान और गलतफहमी के कारण वे **हिंसा** का शिकार हुए और अंततः उसी मानसिक आघात और शारीरिक पीड़ा से उनकी मृत्यु हो गई।
3. लेखक के सपने और उनके पिता की मृत्यु में क्या संबंध है?
लेखक को अक्सर सपने में तिरछ दिखाई देता था। सपने में वह पिताजी को काटता था और लेखक अपने पिता को बचाने के लिए भागता था। यह सपना लेखक के **अचेतन मन के भय** को दर्शाता था। जब उनके पिता को वास्तव में तिरछ ने काटा, तो वह सपना एक भयानक वास्तविकता बन गया। सपने में दिखने वाला **भय** और **पिता को बचाने की असफलता** उनकी वास्तविक जीवन की त्रासदी से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है।
अध्याय 13: शिक्षा (संभाषण) - जे. कृष्णमूर्ति
- यह पाठ जे. कृष्णमूर्ति के संभाषण का अंश है, जो शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य पर केंद्रित है।
- **महत्वाकांक्षा की आलोचना:** कृष्णमूर्ति समाज में मौजूद **महत्वाकांक्षा (Ambition)** की कड़ी आलोचना करते हैं, क्योंकि यह व्यक्ति को दूसरे के विरुद्ध खड़ा करती है और भय, हिंसा और अराजकता फैलाती है।
- **शिक्षा का उद्देश्य:** शिक्षा का उद्देश्य भय और प्रतिस्पर्धा से मुक्त वातावरण का निर्माण करना है।
6. जीवन क्या है और इसका उद्देश्य क्या होना चाहिए?
लेखक के अनुसार, जीवन एक **विशाल और असीम वस्तु** है, जिसे किसी **छोटे से दायरे** में बाँधा नहीं जा सकता। इसमें धर्म, काम, प्रेम, मृत्यु, भय, आनंद, और संपूर्ण मानवता शामिल है। जीवन का उद्देश्य केवल एक **सरकारी नौकर या पेशेवर** बनना नहीं है। जीवन का उद्देश्य होना चाहिए **सत्य की खोज** करना, **स्वतंत्रता** की ओर बढ़ना, और भय तथा प्रतिस्पर्धा से मुक्त होकर एक **नवीन विश्व** का निर्माण करना।
7. नूतन विश्व का निर्माण कैसे हो सकता है?
नूतन विश्व का निर्माण करने के लिए हमें अपनी पूरी शक्ति के साथ **मानसिक और आध्यात्मिक क्रांति** करने की आवश्यकता है। यह तभी संभव है जब हम **महत्वाकांक्षा** को त्याग दें। हमें शिक्षा के माध्यम से एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना होगा, जहाँ भय और प्रतिस्पर्धा न हो, और जहाँ व्यक्ति प्रेमपूर्वक काम करना सीखे। नूतन समाज का निर्माण केवल **प्रेम और सत्य** की खोज के माध्यम से ही संभव है।
8. क्रांति, सीखना, और प्रेम करना तीनों पृथक-पृथक क्रियाएँ नहीं हैं, कैसे?
लेखक बताते हैं कि ये तीनों प्रक्रियाएँ आपस में जुड़ी हुई हैं। जब हम **सीखते** हैं (वास्तव में सीख रहे होते हैं), तो हम केवल किसी वस्तु को जानने का प्रयास नहीं करते, बल्कि जीवन को पूर्ण रूप से सीखते हैं, जिसमें कोई भय या प्रतिस्पर्धा नहीं होती। जब आप किसी वस्तु में **प्रेम** से गहरी दिलचस्पी रखते हैं, तो आपका संपूर्ण मन उसमें लगा रहता है। यह गहरी दिलचस्पी और प्रेम ही अवलोकन और समझने की ओर ले जाती है। जब हम प्रेम से, बिना किसी सहारे के, **सत्य की खोज** करते हैं (जो आंतरिक **क्रांति** है), तो हम जीवन के संपूर्ण सत्य को समझ पाते हैं, इसलिए ये तीनों पृथक-पृथक क्रियाएँ नहीं हैं।
- वाक्शक्ति का महत्व और बातचीत का उत्तम मार्ग **आत्म-संवाद**।
- प्रेम, कर्तव्य और सर्वोच्च त्याग का समन्वय। (**फ्लैशबैक** शैली)।
- **सामाजिक, आर्थिक, नैतिक और सांस्कृतिक क्रान्ति** का आह्वान।
- आंदोलन के नेतृत्व की शर्त: अंतिम निर्णय जेपी का होगा।
- **अर्धनारीश्वर** समन्वय और पूर्णता का प्रतीक है।
- नारी की पराधीनता कृषि सभ्यता की देन है।
- मालती के नीरस, यांत्रिक और सीमित वैवाहिक जीवन का चित्रण।
- **'गैंग्रीन'** भावनात्मक मृत्यु और निष्क्रियता का प्रतीक है।
- छात्रों को **राजनीति** में सक्रिय भागीदारी का समर्थन।
- क्रांति **कष्ट सहन और बलिदान** का परिणाम है।
- **गंडक नदी** ('सदानीरा') और चंपारण क्षेत्र की संस्कृति, इतिहास का वर्णन।
- द्वितीय विश्व युद्ध और **गरीबी** की त्रासदी।
- मुन्नी के विवाह की चिंता भी लड़ाई से कम नहीं।
- प्रगीत (गीतिकाव्य) आत्मपरक होकर भी **सामाजिक** यथार्थ को व्यक्त करता है।
- **दलित समाज** के जातीय शोषण का मार्मिक चित्रण।
- हेडमास्टर कलीराम का अपमान और पिताजी का विद्रोह।
- सुरक्षा पलायन में नहीं, बल्कि **चुनौतियों को झेलने** में है।
- डायरी रचनात्मकता के लिए **कच्चा माल** है।
- **लोक-विश्वास** (तिरछ का 24 घंटे में जहर फैलना) और शहरी क्रूरता।
- तिरछ **भय, अंधविश्वास और मृत्यु** का प्रतीक है।
- **महत्वाकांक्षा** की आलोचना।
- **क्रांति, सीखना और प्रेम** को एक ही प्रक्रिया का अभिन्न अंग मानना।
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