हम पैसों की बचत कैसे करें।
क्या आप घर के खर्चों से परेशान हैं । मै आपकी समस्या को समझ सकता हूं । यह एक ऐसी समस्या है जिससे उबरना बहोत मुस्किल जान पङता है। क्योंकि परिवारिक जीवन ऐसा ही होता है। बाल-बच्चों के कपङे का खर्च, स्कूल का खर्च, ट्यूशन का खर्च आदि के साथ-साथ अगर कोई बीमारी का इलाज करवा रहे हों तो खर्चे और भी बढ जाती है। इन खर्चों को रोका नहीं जा सकता है। ऐसी स्थिति में हमें यह सोचना चाहिए कि हम अपनी आय को और बढ़ाने के लिए क्या करें । क्योंकि आप चाहकर भी घर में हो रहे खर्चे को नहीं रोक सकते हैं । हां हमें इस बात पर अवश्य ध्यान देना चाहिए कि "बूंद-बूंद से तालाब भरती है"। जिस प्रकार बूंद-बूंद करके तालाब बन सकता है ठीक वैसे ही हमें यह भी समझना चाहिए कि पांच-पांच या दस-दस रुपए भी अगर आप ब्यर्थ खर्च करते हैं तो यह आपके स्थिति को एक ना एक दिन गंभीर स्थिति में ला सकता है। मान लीजिए कि आप रोज दिन भर में दस रुपए का तंबाकू सेवन करते हैं और साल में तीन सौ पैंसठ (365) दिन होते हैं, तो इस हिसाब से ₹10 रुपए रोज के हिसाब से 365×₹10= 3650 (तीन हजार छः सौ पचास रुपए) आप खर्च कर रहे हो । अगर आप इस छोटी-सी मनसौकिया चीज के पीछे 10 रुपए को खर्च नहीं करते हैं तब साल में तीन हजार छः सौ पचास रुपए बच जाऐंगे। हमें उम्मीद तीन हजार छः सौ पचास रुपए से अगर आप चाहे तो कम से कम अपने बच्चों के लिए कपङें या फिर चप्पल-जूते या फिर पढाई के किताब अवश्य ही खरीद सकते हैं। अपने बच्चों को भी गाइड करें कि वह अपने पास रखे पैसों को किस प्रकार इस्तेमाल कर रहे हैं। कई बार ऐसा होता है कि बच्चों को बाहर की चीज खाने की लत लग जाती है और वह रोज कुछ न कुछ पैसे बिना किसी को बताए निकाल ले जाते हैं । यदि आपके घर में भी ऐसा है तो उन्हें प्यार से समझाएं की तुम इतना पैसा ले जाती हो,बाबू इतना पैसा ले जाता है ,भईया इतना पैसा ले जाता है । तुम इन सब को जोङो और फिर साल भर का फाइनल हिसाब निकालो। साल भर में 365 दिन होते हैं। जितना हुआ उसे 365 से गुणा करो और बताओ कि कितना हुआ। अपने बच्चों को इसी प्रकार से प्यार से पढाते हुए यह समझाएं कि देखो कितना पैसा खर्च हो रहा है । इसलिए बेटा पैसा रखो मै यह नहीं कहता कि पैसा मत रखो रखो! लेकिन खर्च मत करो । उसे जमा करो । जो जितना पैसा बचाएगा त्योहार में उसका उतना ही अच्छा कपङा खरीदाएगा। इस प्रकार से आप अपने बच्चों को नजायज पैसे खर्च करने से रोककर बचाव करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। इसके साथ ही अगर आपके घर में बङा बेटा या बेटी है तो उसे भी गाइड करें वह किस काम के लिए कितना पैसा बाहर ले जाते हैं और फिर कितना खर्च करते हैं और कितना पैसा बचाकर घर लाते हैं। बङे बच्चे अक्सर अपने दोस्तों के झांसे में पङ जाते हैं। दोस्ती के नाम पर पैसे खर्च करबाते हैं,मजे लेते हैं और खुद अपनी बारी आने पर दोनों हांथ उपर कर देते हैं और कहते हैं मेरे पास तो जहर खाने के भी पैसे नहीं हैं फिर मैं तुम्हें क्या खिलाउं। इस तरह की घटना बताकर अपने बच्चों को बुरे बचों से सावधान करें। इन सभी तरीको इस्तेमाल करके अपने घर की नजायज खर्चों को रोक सकते हैं और अपनी घर की आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं।
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