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Class 12 hindi bihar board digant all chapters Summary, Q&A solution and notes

Class 12 hindi bihar board "दिगंत" all chapters Summary, Q&A solution and notes  हम अपने वेबसाइट पर आने वाले हर पाठकों और विद्यार्थियों को इस बात का आश्वासन देते हैं कि आपको इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 12 के हिंदी विषय जिसे दिगंत के नाम से जाना जाता है। सभी प्रश्नों के समाधान अर्थात पुस्तक में निहित सभी अध्यायों के सभी प्रश्न के समाधान। अध्यायों का संक्षेपण और नोट्स प्रदान किए जाएंगे। कक्षा 12 हिन्दी (बिहार बोर्ड) गद्य खंड के व्यवस्थित नोट्स यह पोस्ट डिवाइस स्क्रीन के बाएं किनारे से लेकर दाएं किनारे तक विस्तृत है और पढ़ने को आसान बनाने के लिए इंटरैक्टिव (Accordion) है। जानकारी देखने के लिए शीर्षक पर क्लिक करें। अध्याय 1: बातचीत (निबंध) - बालकृष्ण भट्ट I. संक्षेपण (Summary) दिए गए अध्याय का संक्षेपण (Summary of the Chapter) प्रस्तुत अध्याय 'बातचीत' बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित एक निबंध है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने उन्हें हिंदी गद्य साहित्य में अंग्रेजी के निबंधकार **एडिसन और स्टील** की श...

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 3 'Chidiya' Summary and Meaning of the Poem

बिहार बोर्ड कक्षा 6 हिन्दी। अध्याय 3 'चिड़िया'। कविता का सारांश और भावार्थ

इस अध्याय के लेखक "आरसी प्रसाद सिंह" हैं। इस अध्याय में लेखक ने हमलोगों को चिङिया का आधार बनाकर सबसे प्यार करने और बिना किसी छल-कपट के,बिना किसी भेदभाव के आपस में मिलकर रहने की प्रेरना देती है।

आज हमलोग इस कविता का अर्थ समझेंगे। अपनी पुस्तक निकाल लें। क्योंकि यहां हम आपको पूरा कविता कापीराइट समस्या के कारण उपलब्ध नहीं करा सकते। (कारण जानें)
हम यहां संक्षिप्त कविता प्रदान करेंगें और आपको अर्थ समझाएंगे। हम इसमें मौजूद सभी प्रश्नों का उत्तर समाधान भी प्रदान करेंगे। तो चलिए अब शुरू करें।

पहला पैराग्राफ: 
* पीपल की ऊँची डाली पर....क्या संदेश सुनाती है?
अर्थ: कविता के इस पैराग्राफ में लेखक हमलोगों से पूछते हैं कि जरा बताईऐ सुबह-सुबह आप सब देखते होंगे कि घर के आस-पास  कुछ चिङिया आती है..किसी पेङ पर बैठती है और चहचहाती है। वास्तव में वह उनकी बोली है..भाषा है। लेखक हमशे पूछ रहे हैं कि क्या आप बता सकते है कि वह अपनी भाषा में हमें क्या संदेश सुनाती है। वह हमशे क्या कहना चाहती है?

दूसरा पैराग्राफ: 
* चिड़िया बैठी प्रेम-प्रीति की....मुक्ति-मंत्र बतलाती है।
अर्थ: यह पैराग्राफ पहले पैराग्राफ में पूछे गए सवाल का जवाब देता है। लेखक कहते हैं चिङिया अपनी बोली में हमें प्रेम प्रिति की रिति सिखलाती है। रिति का मतलब होता है "सिख"। चिङिया हमें प्रेम करने की सीख सिखलाती है।

तीसरा + चौथा पैराग्राफ:
* वन में जितने पक्षी हैं....करते सब आपस में हिलमिल।..सब मिल-जुलकर रहते हैं....जहाँ चाहते जाते हैं।
अर्थ: लेखक कहते हैं कि वन में जितने पक्षी हैं..खंजन, कपोत,चातक,कोकिल,काक,हंस आदि। यह सब आपस में हिलमिल कर और मिलजुल कर रहते हैं। खंजन एक छोटा पक्षी है जो छोटे-मोटे नदियों के किनारे पर अक्सर दिखाई देता है। कपोत का मतलब होता है..कबूतर, चातक का मतलब पपीहा, कोकिल का मतलब कोयल, काक का मतलब कौआ और हंस का मतलब बतख, आदि का मतलब इसी प्रकार का जितना भी है। लेखक कहते हैं जितने भी पक्षी हैं वे सब आपस में प्रेमभाव से मिलजुल कर रहते हैं।

पाचवां पैराग्राफ :
* उनके मन में लोभ नहीं है,....जीने की भी चाह नहीं।
अर्थ: कविता का यह पैराग्राफ में लेखक ने बताया है कि चिङियों के मन में किसी प्रकार का लोभ या लालच नहीं होता है। पाप नहीं परवाह नहीं कहनें का अर्थ यह हुआ कि वे किसी से छल कपट नहीं करते हैं। परवाह नहीं का मतलब यह नहीं है कि वे लापरवाह हैं,बल्कि इसका मतलब यह है कि कोई दूसरे के पास कितना क्या है। उससे उनको कोई मतलब नहीं होता है। वे इर्ष्या नहीं करते ।

छठा पैराग्राफ:
* जो मिलता है, अपने श्रम से.....उसे छोड़ वे देते हैं।
अर्थ: इस पैराग्राफ में बताया गया है कि चिङिया को जो अपने मेहनत करने के बाद मिलता या ढूंढने के बाद मिलता है । वे उसमें से उतना भर ले लेते हैं जितना की उनको आवश्यकता हैं और जो बच जाता है उसे दूसरों के लिए वे छोङ देते हैं। बच्चों मनुष्यों क्या ऐसा होता है..नहीं। मनुष्य अपनी मेहनत की कमाई में से कुछ छोङ दे,यह तो छोङो। अगर किसी दूसरे का भी पैसा सङक पर गिरा हुआ दिख जाए तो पुरा बटोर लेते हैं। एक सिक्का भी नहीं छोङते। 

सातवां पैराग्राफ: 
* सीमाहीन गगन में उड़ते....अपना घर वे भरते हैं।
अर्थ: कविता के इस पैराग्राफ में लेखक हमें यह बताते हैं कि चिङिया अपने निवास सीमा से भी बाहर की सीमा में निर्भय होकर चले जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। किसी छिना-झपटी नहीं करते और ना ही किसी और की कमाई पर धावा बोलते हैं। वे अपने घर में चोरी का खजाना नहीं बनाते है।


आठवां पैराग्राफ:
* वे कहते हैं-मानव ! सीखो,....डाली है बेड़ी पग में।
अर्थ: चिङिया कहती है कि हे मानव! तुम हमें देखकर इस संसार में जीना सिखो। हम कैसे अपने सीमा से पार निर्भय चले जाते हैं,..और एक तुम हो जो अपने पैरों में जंजीर जकङ रखे हो। बेङी का मतलब होता जंजीर और पग का मतलब होता है पैर।

आखरी पैराग्राफ: 
* "पीपल की डाली पर चिड़िया, यही सुनाने आती है। बैठ घड़ी भर, हमें चकितकर, गाकर फिर उड़ जाती है।"
अर्थ: कविता का यह आखरी पैराग्राफ है। बच्चों लेखक कहते हैं कि चिङिया सुबह-सुबह हमें यही सुनाने आती है। निश्चित समय तक ही वह हमें यह सब सुनाती है। जब सबकुछ हमे बतला देती है,तब एक बार हमारी तरफ देखकर फिर उङ जाती है।

बच्चों! हमारे साथ कविता पढने में आपको कितना अच्छा लगा। हमें कमेंट अवश्य करें। और हमारे साथ मिलकर अपना विचार अन्य लोगों तक पहुंचाऐं। हमसे जुङने के लिए हमें इमेंल करें।

चलिए अब हम लोग प्रश्न और उनके समाधान देखते हैं।

नोट: बच्चों हमने आपकी पुस्तक में दिए गए प्रश्नों को देख लिया है। इसमें मुख्य रूप से तीन प्रश्न पूछे गए हैं और तीनों प्रश्न का उत्तर कविता के अर्थ के आधार पर पूछे गए हैं। हमें पूरा विश्वास है कि अगर आपने उपर दिए गए कविता के अर्थ को अच्छे से पढ लिया है तब आपको इनके उतर लिखने या इस अध्याय से उठने वाले सभी प्रश्नों के सहीं उत्तर आप सरलतापूर्वक दे पाऐंगे। हमारी शुभकामनाएं।


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