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Class 12 hindi bihar board digant all chapters Summary, Q&A solution and notes

Class 12 hindi bihar board "दिगंत" all chapters Summary, Q&A solution and notes  हम अपने वेबसाइट पर आने वाले हर पाठकों और विद्यार्थियों को इस बात का आश्वासन देते हैं कि आपको इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 12 के हिंदी विषय जिसे दिगंत के नाम से जाना जाता है। सभी प्रश्नों के समाधान अर्थात पुस्तक में निहित सभी अध्यायों के सभी प्रश्न के समाधान। अध्यायों का संक्षेपण और नोट्स प्रदान किए जाएंगे। कक्षा 12 हिन्दी (बिहार बोर्ड) गद्य खंड के व्यवस्थित नोट्स यह पोस्ट डिवाइस स्क्रीन के बाएं किनारे से लेकर दाएं किनारे तक विस्तृत है और पढ़ने को आसान बनाने के लिए इंटरैक्टिव (Accordion) है। जानकारी देखने के लिए शीर्षक पर क्लिक करें। अध्याय 1: बातचीत (निबंध) - बालकृष्ण भट्ट I. संक्षेपण (Summary) दिए गए अध्याय का संक्षेपण (Summary of the Chapter) प्रस्तुत अध्याय 'बातचीत' बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित एक निबंध है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने उन्हें हिंदी गद्य साहित्य में अंग्रेजी के निबंधकार **एडिसन और स्टील** की श...

Class 6 Hindi (Kislay Part 1) Chapter 7: Pita Ka Patra Putra Ke Naam - Q&A (Bihar Board)

कक्षा 6 हिंदी (किसलय भाग 1) पाठ 7: पिता का पत्र पुत्र के नाम - प्रश्नोत्तर (बिहार बोर्ड)

कक्षा 6 हिंदी (किसलय भाग 1) पाठ 7: पिता का पत्र पुत्र के नाम - प्रश्नोत्तर (बिहार बोर्ड)

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उत्तर

Q1: यह पत्र किसने किसको लिखा?

  • (a) मोहनदास करमचंद गाँधी ने श्री मणिलाल गाँधी को।
  • (b) श्री मणिलाल गाँधी ने मोहनदास करमचंद गाँधी को।
  • (c) मिस्टर पोलक ने मोहनदास करमचंद गाँधी को।
  • (d) मिस्टर रीच ने मणिलाल गाँधी को।

सही उत्तर: मोहनदास करमचंद गाँधी ने श्री मणिलाल गाँधी को।

Q2: पत्र किस स्थान और तारीख पर लिखा गया था?

  • (a) जोहान्सबर्ग जेल, 25 मार्च, 1910।
  • (b) प्रिटोरिया जेल, 25 मार्च, 1909।
  • (c) प्रिटोरिया जेल, 25 मई, 1909।
  • (d) डरबन, 25 मार्च, 1909।

सही उत्तर: प्रिटोरिया जेल, 25 मार्च, 1909।

Q3: लेखक (मोहनदास करमचंद गाँधी) को जेल से प्रति माह कितने पत्र लिखने और प्राप्त करने का अधिकार मिला था?

  • (a) दो पत्र।
  • (b) तीन पत्र।
  • (c) एक पत्र।
  • (d) कोई अधिकार नहीं।

सही उत्तर: एक पत्र।

Q4: लेखक ने पुत्र को ही पत्र लिखना क्यों पसंद किया?

  • (a) क्योंकि पुत्र ने ही पत्र लिखने को कहा था।
  • (b) क्योंकि मिस्टर रीच और मिस्टर पोलक का ख्याल नहीं आया।
  • (c) क्योंकि पढ़ने के समय पुत्र का ही ध्यान उन्हें बराबर रहता था।
  • (d) क्योंकि पुत्र को ज्यादा पत्रों की ज़रूरत थी।

सही उत्तर: क्योंकि पढ़ने के समय पुत्र का ही ध्यान उन्हें बराबर रहता था।

Q5: लेखक के अनुसार, सच्ची शिक्षा क्या है?

  • (a) केवल अक्षर-ज्ञान।
  • (b) केवल किताबी ज्ञान।
  • (c) चरित्र-निर्माण और कर्त्तव्य का बोध।
  • (d) गणित और संस्कृत का ज्ञान।

सही उत्तर: चरित्र-निर्माण और कर्त्तव्य का बोध।

Q6: बीमार माँ की सेवा और रामदास व देवदास को सँभालने के काम को लेखक ने शिक्षा के किस हिस्से के रूप में बताया है?

  • (a) यह शिक्षा का हिस्सा नहीं है।
  • (b) यह पूरी शिक्षा है।
  • (c) यह आधी शिक्षा है।
  • (d) यह केवल अक्षर-ज्ञान है।

सही उत्तर: यह आधी शिक्षा है।

Q7: लेखक के अनुसार, आमोद-प्रमोद एक निश्चित आयु तक ही शोभा देते हैं। वह आयु क्या है जिसके बाद बच्चों को जिम्मेवारी और कर्त्तव्य का भान होना चाहिए?

  • (a) दस वर्ष की उम्र।
  • (b) बारह वर्ष की उम्र।
  • (c) पन्द्रह वर्ष की उम्र।
  • (d) सोलह वर्ष की उम्र।

सही उत्तर: बारह वर्ष की उम्र।

Q8: संसार में तीन महत्वपूर्ण बातें कौन-सी हैं जिन्हें प्राप्त कर मनुष्य कहीं भी निर्वाह कर सकता है?

  • (a) धन, बल और बुद्धि का ज्ञान।
  • (b) अक्षर-ज्ञान, संगीत और संस्कृत का ज्ञान।
  • (c) अपनी आत्मा का, अपने आप का और ईश्वर का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना।
  • (d) माता-पिता, गुरु और समाज का ज्ञान।

सही उत्तर: अपनी आत्मा का, अपने आप का और ईश्वर का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना।

Q9: भविष्य में जीवन-निर्वाह के लिए लेखक ने पुत्र को कैसा बनने की इच्छा व्यक्त की है?

  • (a) एक योग्य अध्यापक।
  • (b) एक योग्य डॉक्टर।
  • (c) एक योग्य किसान।
  • (d) एक योग्य व्यापारी।

सही उत्तर: एक योग्य किसान।

Q10: अक्षर-ज्ञान में किन विषयों पर पूरा ध्यान देने के लिए कहा गया है?

  • (a) हिन्दी और अंग्रेजी।
  • (b) गणित और संस्कृत।
  • (c) संगीत और इतिहास।
  • (d) भूगोल और विज्ञान।

सही उत्तर: गणित और संस्कृत।

Q11: गाँधीजी ने अपने जिस पुत्र को पत्र लिखा उसका नाम था-

  • (a) देवदास गाँधी
  • (b) मणिलाल गाँधी
  • (c) मोहनदास
  • (d) रामदास गाँधी

सही उत्तर: मणिलाल गाँधी

Q12: गाँधीजी ने यह पत्र कहाँ से लिखा था?

  • (a) पटना जेल से
  • (b) लखनऊ जेल से
  • (c) तिहाड़ जेल से
  • (d) प्रिटोरिया जेल से

सही उत्तर: प्रिटोरिया जेल से

Q13: गाँधीजी ने यह पत्र कब लिखा?

  • (a) 25 मार्च, 1919
  • (b) 25 मार्च, 1900
  • (c) 25 मार्च, 1909
  • (d) 25 मार्च, 1929

सही उत्तर: 25 मार्च, 1909

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उत्तर

Q1: गाँधीजी ने असली शिक्षा किसे माना है? उल्लेख कीजिए।

गाँधीजी ने अपने पुत्र को पत्र में स्पष्ट किया है कि केवल अक्षर-ज्ञान ही शिक्षा नहीं है।
उनके विचार से, सच्ची शिक्षा निम्नलिखित दो बातों में निहित है:
* चरित्र-निर्माण
* कर्त्तव्य का बोध
वे मानते थे कि यदि यह दृष्टिकोण सही है, तो पुत्र अपनी बीमार माँ की सेवा करके और रामदास व देवदास को सँभालकर सच्ची शिक्षा प्राप्त कर रहा है। यदि वह यह काम अच्छी तरह और आनंद से करता है, तो उसकी आधी शिक्षा तो इसी के द्वारा पूरी हो जाती है।

Q2: गाँधीजी के पत्र के माध्यम से किन तीन बातों को महत्वपूर्ण माना गया है?

गाँधीजी ने पत्र में संसार की तीन बातें बड़ी महत्वपूर्ण बताई हैं। इन तीन बातों को प्राप्त कर पुत्र संसार के किसी भी कोने में जाकर अपना निर्वाह कर सकेगा।
ये तीन बातें हैं:
* अपनी आत्मा का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना
* अपने आप का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना
* ईश्वर का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना

Q3: "बा" उपनाम से किन्हें जाना जाता है?

पत्र में "बा" उपनाम का प्रयोग लेखक (मोहनदास करमचंद गाँधी) की पत्नी, यानी कस्तूरबा गाँधी के लिए किया गया है। पत्र में "बा" के स्वास्थ्य सुधरने और उनके फिर से चलने-फिरने के बारे में पूछा गया है।
(हालांकि "बा" नाम का उल्लेख सीधे तौर पर नहीं है, संदर्भ उनकी पत्नी का है, क्योंकि वह पुत्र की माँ हैं, और भारतीय संदर्भ में गाँधीजी की पत्नी को 'बा' नाम से ही जाना जाता था। पत्र में उन्हें "बीमार माँ" और "बा" दोनों कहा गया है।)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उत्तर

Q1: गाँधीजी ने पत्र के माध्यम से अपने पुत्र को क्या-क्या शिक्षाएँ दी है?

गाँधीजी ने पत्र के माध्यम से अपने पुत्र श्री मणिलाल गाँधी को कई महत्वपूर्ण शिक्षाएँ दी हैं।
* कर्त्तव्य और ज़िम्मेदारी का बोध: उन्होंने कहा कि बारह वर्ष की उम्र के बाद बच्चों को जिम्मेवारी और कर्त्तव्य का भान होना चाहिए। पुत्र ने अपनी बीमार माँ की सेवा और रामदास व देवदास को सँभालने की जो ज़िम्मेदारी ली है, वह उसके योग्य है और उसे आनंद से निभाना चाहिए।
* सच्ची शिक्षा का महत्व: उन्होंने समझाया कि केवल अक्षर-ज्ञान ही शिक्षा नहीं है। सच्ची शिक्षा तो चरित्र-निर्माण और कर्त्तव्य का बोध है।
* सत्य और अहिंसा का प्रयोग: उन्हें अपने आचार और विचार में सत्य और अहिंसा के प्रयोग की चेष्टा करनी चाहिए। यह सब उन्हें भार समझकर नहीं, बल्कि आनंद का अनुभव करते हुए करना चाहिए।
* गरीबी में निर्वाह: उन्होंने सूचित किया कि अब से उन्हें गरीबी में रहना है, क्योंकि गरीबी में ही अधिक सुख है।
* योग्य किसान बनना: उन्होंने भविष्य में पुत्र को योग्य किसान बनने की इच्छा व्यक्त की। इसके लिए उन्हें खेत में घास निराने और गड्ढे खोदने में पूरा समय देना चाहिए और सभी औजारों को साफ और सुव्यवस्थित रखना चाहिए।
* अक्षर-ज्ञान पर ध्यान: अक्षर-ज्ञान में गणित और संस्कृत पर पूरा ध्यान देने को कहा, क्योंकि ये विषय बड़ी उम्र में सीखना कठिन है और संस्कृत भविष्य में बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।
* संगीत और संग्रह: संगीत में बराबर रुचि रखने और हिन्दी, गुजराती और अंग्रेजी के चुने हुए भजनों एवं कविताओं का एक संग्रह तैयार करने को कहा।
* नियमितता और हिसाब: उन्हें घर के खर्च का पैसे-पैसे का हिसाब रखने और रोज शाम को नियमपूर्वक प्रार्थना करने की शिक्षा दी। उन्होंने कहा कि सूर्योदय से पहले उठकर प्रार्थना करना बहुत अच्छा है और यह नियमितता जीवन में सहायक सिद्ध होगी।
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