Class 6 हिन्दी अध्याय 10 ( भीष्म की प्रतीज्ञा ) से संबंधित अर्थ और सभी प्रश्न उत्तर समाधान।
भीष्म की प्रतिज्ञा: यह एकांकी वंशीधर श्रीवास्तव द्वारा लिखित है, जो हस्तिनापुर के महाराजा शान्तनु और निषादों के राजा दाशराज के बीच हुए संवाद तथा युवराज देवव्रत की कठोर प्रतिज्ञा पर आधारित है।
पहला दृश्य: शान्तनु का प्रस्ताव और दाशराज की शर्त।
महाराजा शान्तनु यमुना के निकटवर्ती प्रांत में दाशराज के निवास-स्थान पर जाकर उनकी परम सुन्दरी कन्या सत्यवती को हस्तिनापुर की राजरानी बनाने का प्रस्ताव रखते हैं। शान्तनु इस विवाह को दो जातियों (भरत कुल और निषाद) के हृदय को जोड़ने और राज्य की शक्ति बढ़ाने का माध्यम मानते हैं।
दाशराज, विवाह के लिए गौरव महसूस करते हुए भी, एक शर्त रखते हैं। वह नहीं चाहते कि उनकी कन्या की संतान युवराज देवव्रत की सामंत बने। उनकी शर्त यह होती है कि शान्तनु के बाद सत्यवती का पुत्र ही हस्तिनापुर की राजगद्दी पर बैठेगा।
शान्तनु इस शर्त को मानने में असमर्थता व्यक्त करते हैं, क्योंकि इससे वीरों में श्रेष्ठ, योग्य और सुशील पुत्र देवव्रत के साथ अन्याय होगा, जिसका राजगद्दी पर पैतृक अधिकार है। शर्त अस्वीकार कर वह उदास मन से लौट जाते हैं।
दूसरा दृश्य: देवव्रत की कठोर प्रतिज्ञा।
पिता की उदासी का कारण जानने के लिए युवराज देवव्रत स्वयं दाशराज की पुरी में आते हैं। दाशराज उन्हें वह असंभव शर्त बताते हैं जो उन्होंने महाराजा शान्तनु के सामने रखी थी।
पिता के सुख और दो कुलों (निषाद और भरत-कुल) के मेल-मिलाप के लिए देवव्रत तत्काल पहली शर्त मान लेते हैं। वह प्रतिज्ञा करते हैं कि वह स्वयं हस्तिनापुर की राजगद्दी पर नहीं बैठेंगे और सत्यवती का पुत्र ही राजा बनेगा।
हालांकि, दाशराज को संदेह होता है कि देवव्रत की संतान भविष्य में इस प्रतिज्ञा का पालन करेगी या नहीं, जिससे यह विवाह झगड़े की जड़ बन सकता है। तब दो जातियों और कुलों को जोड़ने का पवित्र कर्तव्य निभाने के लिए, देवव्रत सबसे बड़ा त्याग करने का निश्चय करते हैं। वह दाहिना हाथ ऊपर उठाकर, आकाश के सूर्य-चन्द्र और देवताओं को साक्षी मानकर आजीवन ब्रह्मचारी रहने और विवाह न करने की भयानक प्रतिज्ञा करते हैं।
देवव्रत की इस भीषण प्रतिज्ञा को सुनकर दाशराज अवाक् रह जाते हैं। आकाश से फूलों की वर्षा होती है और ध्वनि आती है कि ऐसी प्रतिज्ञा करने वाला न अब तक पैदा हुआ है और न होगा। इस कठोर प्रतिज्ञा के कारण देवव्रत का नाम उसी क्षण से 'भीष्म' पड़ जाता है। दाशराज सहर्ष अपनी शर्त छोड़ देते हैं और शान्तनु की आज्ञा स्वीकार करते हैं। भीष्म सत्यवती को माता के रूप में हस्तिनापुर ले जाते हैं।
हालांकि आपके अध्याय में वस्तुनिष्ठ प्रश्न नहीं पूछे गए हैं। लेकिन आपके परीक्षा में पुछे जाते हैं। इसलिए मैंने आपके लिए इस अध्याय से उठने वाले संभावित वस्तुनिष्ठ प्रश्न और उत्तर तैयार कर दिया है।
यहाँ दिए गए पाठ के आधार पर वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की सूची और उनके उत्तर लिखें हैं।
Q.1: 'भीष्म की प्रतिज्ञा' नामक एकांकी के लेखक कौन हैं?
क) जयशंकर प्रसाद
ख) वंशीधर श्रीवास्तव
ग) रामधारी सिंह दिनकर
घ) प्रेमचंद
✅️ ख) वंशीधर श्रीवास्तव
Q.3: हस्तिनापुर के सम्राट कौन थे?
क) भीष्म
ख) दाशराज
ग) शान्तनु
घ) सत्यवती का पुत्र
✅️ ग) शान्तनु
Q.4: सत्यवती कौन थी?
क) दाशराज की पत्नी
ख) दाशराज की बेटी
ग) भीष्म की बहन
घ) शान्तनु की राजरानी
✅️ ख) दाशराज की बेटी
Q.5: पहला दृश्य किस स्थान पर घटित होता है?
क) हस्तिनापुर का राजदरबार
ख) गंगा तट
ग) यमुना के निकटवर्ती प्रांत में दाशराज का निवास-स्थान
घ) इन्द्रपुरी
✅️ ग) यमुना के निकटवर्ती प्रांत में दाशराज का निवास-स्थान
Q.6: शान्तनु दाशराज से किस संबंध को और दृढ़ बनाना चाहते थे? क) व्यापारिक संबंध
ख) मित्रता और स्नेह-सूत्र
ग) शत्रुता का संबंध
घ) युद्ध का संबंध
✅️ ख) मित्रता और स्नेह-सूत्र
Q.7: निषादराज ने सत्यवती के लिए क्या पद स्वीकारने पर संकोच व्यक्त नहीं किया?
क) दासी का पद
ख) मंत्री का पद
ग) हस्तिनापुर की राजरानी का पद
घ) सामन्त की पुत्री का पद
✅️ ग) हस्तिनापुर की राजरानी का पद
Q.8: निषादराज सत्यवती की संतान को क्या बनाना नहीं चाहते थे?
क) निषादों का राजा,
ख) हस्तिनापुर के युवराज की सामंत,
ग) भरत-कुल का संबंधी,
घ) देवव्रत का मित्र
✅️ ख) हस्तिनापुर के युवराज की सामंत
Q.9: दाशराज की शर्त के अनुसार, हस्तिनापुर की राजगद्दी पर किसे बैठना था?
क) देवव्रत
ख) दाशराज
ग) सत्यवती का पुत्र
घ) शान्तनु का भाई
✅️ ग) सत्यवती का पुत्र
Q.10: देवव्रत किसे हस्तिनापुर ले जाने के लिए दाशराज के पास आए थे?
क) अपने पिता शान्तनु को
ख) माँ सत्यवती को
ग) दाशराज को
घ) अपने सामंतों को
✅️ ख) माँ सत्यवती को
Q.11: देवव्रत ने हस्तिनापुर की राजगद्दी पर न बैठने की प्रतिज्ञा क्यों की?
क) वे राजगद्दी के योग्य नहीं थे
ख) वे संन्यास लेना चाहते थे
ग) वे पिताजी को सुखी बनाना और दो कुलों को जोड़ना चाहते थे
घ) दाशराज ने उन्हें आज्ञा दी थी
✅️ ग) वे पिताजी को सुखी बनाना और दो कुलों को जोड़ना चाहते थे
Q.12: देवव्रत ने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा क्यों की? | क) ताकि उनकी संतान सत्यवती की संतान के लिए झगड़े की जड़ न बने
ख) वे राज-पाट छोड़ना चाहते थे
ग) उन्हें विवाह करना पसंद नहीं था
घ) पिताजी ने उनसे कहा था
✅️: क) ताकि उनकी संतान सत्यवती की संतान के लिए झगड़े की जड़ न बने
Q.13: देवव्रत का नाम 'भीष्म' क्यों पड़ा?
क) क्योंकि वे बहुत वीर थे
ख) क्योंकि आकाश से ध्वनि आई कि ऐसी प्रतिज्ञा करने वाला न अब तक पैदा हुआ है, न होगा
ग) क्योंकि उन्होंने दाशराज को पराजित किया था
घ) क्योंकि उनका जन्म गंगा की धारा रुकने पर हुआ था
✅️ ख) क्योंकि आकाश से ध्वनि आई कि ऐसी प्रतिज्ञा करने वाला न अब तक पैदा हुआ है, न होगा
🔷️ यहां से शुरू होता है आपके पाठ्यपुस्तक में निहित प्रश्नों के उत्तर।
Q.1: शान्तनु कहाँ के महाराजा थे?
उतर: शान्तनु हस्तिनापुर के महाराजा (सम्राट) थे।
Q.2: निषादराज ने राजा से अपनी कन्या के विवाह के लिए क्या-क्या शर्त रखी?
उतर: निषादराज दाशराज ने राजा शान्तनु से अपनी कन्या सत्यवती के विवाह के लिए यह शर्त रखी कि शान्तनु के बाद सत्यवती का पुत्र ही हस्तिनापुर की राजगद्दी पर बैठेगा। उनका तर्क था कि यदि ऐसा नहीं हुआ, तो सत्यवती की संतान के लिए या तो दासता होगी या फिर बलवान (देवव्रत की संतान) के साथ शत्रुता।
Q.3: राजा को निषादराज की शर्त मानने में क्या कठिनाई थी?
उतर: राजा शान्तनु को निषादराज की शर्त मानने में यह कठिनाई थी कि शर्त मानने का अर्थ था उनके "देवता-तुल्य पुत्र", युवराज देवव्रत, के साथ अन्याय करना। देवव्रत वीरों में श्रेष्ठ, अस्त्र विद्या में पारंगत, योग्य, और सुशील थे, और राजगद्दी पर उनका अधिकार था, जिसे वह ज़रा भी अधिकार से वंचित नहीं कर सकते थे।
Q.4: देवव्रत ने हस्तिनापुर की गद्दी पर नहीं बैठने की प्रतिज्ञा क्यों की?
उतर: देवव्रत ने हस्तिनापुर की गद्दी पर नहीं बैठने की प्रतिज्ञा निम्नलिखित कारणों से की: वे अपने पिताजी (शान्तनु) को सुखी देखना चाहते थे, जो सत्यवती से विवाह न कर पाने के कारण उदास थे और राजदरबार में भी नहीं आ रहे थे। वे दो कुलों (भरत-कुल और निषाद-कुल) का मेल-मिलाप और दो जातियों का हृदय जोड़ना चाहते थे, क्योंकि उनका मानना था कि इससे देश का भला होगा। दाशराज की शर्त (कि सत्यवती का पुत्र ही राजा बने) को पूरा करने के लिए उन्होंने यह प्रतिज्ञा की।
Q.5: देवव्रत का नाम भीष्म क्यों पड़ा?
उतर: देवव्रत का नाम भीष्म पड़ा क्योंकि उन्होंने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की कठोर प्रतिज्ञा की थी।
दाशराज के यह पूछने पर कि क्या उनकी संतान भी राजगद्दी पर न बैठने की प्रतिज्ञा का पालन करेगी और क्या यह विवाह झगड़े की जड़ नहीं बन जाएगा, देवव्रत ने विवाह न करने की भयानक प्रतिज्ञा की।
इस प्रतिज्ञा को सुनकर आकाश से फूलों की वर्षा हुई और यह ध्वनि आई कि: "भीष्म-भीष्म-देवव्रत-ऐसी प्रतिज्ञा करने वाला न अब तक पैदा हुआ है, न होगा आज से तुम्हारा नाम 'भीष्म' हुआ"। 'भीष्म' का अर्थ है भयानक या कठोर प्रतिज्ञा करने वाला।
Q.6: देवव्रत ने दाशराज की शर्त क्यों मान ली? सही कथन के आगे (√) का निशान लगाइए ।
i> वह राजा नहीं होना चाहते थे।
ii>उन्हें निषादराज को प्रसन्न करना था।
iii>वह ब्रह्मचारी बनकर यश कमाना चाहते थे।
iv>वह अपने पिताजी को सुखी देखना चाहते थे।✅️
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