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Class 12 hindi bihar board digant all chapters Summary, Q&A solution and notes

Class 12 hindi bihar board "दिगंत" all chapters Summary, Q&A solution and notes  हम अपने वेबसाइट पर आने वाले हर पाठकों और विद्यार्थियों को इस बात का आश्वासन देते हैं कि आपको इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा 12 के हिंदी विषय जिसे दिगंत के नाम से जाना जाता है। सभी प्रश्नों के समाधान अर्थात पुस्तक में निहित सभी अध्यायों के सभी प्रश्न के समाधान। अध्यायों का संक्षेपण और नोट्स प्रदान किए जाएंगे। कक्षा 12 हिन्दी (बिहार बोर्ड) गद्य खंड के व्यवस्थित नोट्स यह पोस्ट डिवाइस स्क्रीन के बाएं किनारे से लेकर दाएं किनारे तक विस्तृत है और पढ़ने को आसान बनाने के लिए इंटरैक्टिव (Accordion) है। जानकारी देखने के लिए शीर्षक पर क्लिक करें। अध्याय 1: बातचीत (निबंध) - बालकृष्ण भट्ट I. संक्षेपण (Summary) दिए गए अध्याय का संक्षेपण (Summary of the Chapter) प्रस्तुत अध्याय 'बातचीत' बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित एक निबंध है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने उन्हें हिंदी गद्य साहित्य में अंग्रेजी के निबंधकार **एडिसन और स्टील** की श...

Class 6 hindi chapter 15 'bhul gya hai kyu insan' Summary bihar board

Class 6 hindi chapter 15 (भुल गया है क्यों इंसान) का सारांश 

नमस्कार बच्चों आपके पाठ्यपुस्तक के इस अध्याय में कविता का सारांश लिखने के लिए कहा गया जो की आपको अपने शब्दों में समझाना है। हम आपको कविता समझाएंगे। इस कविता के लेखक "हरिवंशराय बच्चन" ने लिखा है। इस कविता में वे हमें उन्होंने यह संदेश दिया है कि हमारे और अन्य व्यक्ति के बीच कोई अंतर नहीं हैं। संधर्व यह है कि कोई हमसे नीच नहीं है।


आइए अब हम कविता का अर्थ समझते हैं। ( क्षमा चाहूँगा की मै आपके पुस्तक मे निहित कविता पैराग्राफ को पूरा उपलब्ध नहीं करा सकता (समाग्री नीति) इसलिए आप अपना पुस्तक खोल कर देखें और समझे।

पहला पैराग्राफ: भूल गया है क्यों इंसान, सबकी है मिटटी की काया,...भूल गया है क्यों इंसान।
लेखक कह रहे हैं कि सभी इंसान का शरीर (मिट्टी) जैसा ही होता है। यहां किसी को इश्वर ने अनोखा बरदान देकर नहीं भेजा है। इस बात को इंसान क्यों भुल गया है। 

दुसरा पैराग्राफ: धरती ने मानव उपजाए,मानव ने ही देश बनाए,....भूल गया है क्यों इंसान।
लेखक कहते हैं कि धरती ने मानव को जन्म दिया और मानव ने अलग-अलग देश बनाया । लेकिन हर देश में रहने वाला इंसान एक ही मां (धरती) की संतान है। इस बात को इंसान क्यों भुल गया है।

तीसरा/अंतीम पैराग्राफ: देश अलग हैं, देश अलग हों, वेश अलग हैं, वेश अलग हों,.....भूल गया है क्यों इंसान।
इस पैराग्राफ में लेखक ने लिखा है की देश अलग है तो रहे। वेश (रहने का/कपङे पहनने का तरीका या रीति-रिवाज आदि) अलग है तो रहे। लेकिन हर इंसान के अंदर के प्राण (आत्मा) तो एक ही है ,इस बात को इंसान क्यों भुल गए हैं।

कविता का विस्तार यही तक था। कविता छोटा किंतु लेखक हरिवंशराय बच्चन जी ने अपनी इस छोटी सी कविता के माध्यम से हमें बहुत बङा ज्ञान प्रदान करते हैं। वे हमें मानवता की सिख सिखाते हैं। वे कहते हैं की हम सब एक ही मां धरती की संतान हैं। हम सब के अंदर एक ही प्रकार का प्राण निवास करता है। यहां कोई भगवान से विशेष बरदान लेकर नहीं आया है। हम सब एक जैसे हैं । हमें आपस में प्यार से मिलकर रहना चाहिए। 

बच्चों इसी प्रकार का सीख आपके पाठ्यपुस्तक के "चिङिया अध्याय 3" कविता से भी मिलती है। यह कविता भी हमें आपस में मिलकर रहने और प्यार से रहने की सीख देता है।

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